शाम के फोन की है बात
दिल दहलाने वाली वारदात
दोस्ती बहुत पुरानी
ठहाके लगे आसमानी
बातों बातों में कुछ कविताएं आई
मैंने भी कुछ पंक्तियां सुनाई
मैं आऊंगा जब रात अंधेरी होगी
क्या पता बीवी ने यही बात सुनी होगी
फौरन जारी वारंट हुआ
मोबाइल का फोरेंसिक हुआ
सुलझाने ये मिस्ट्री
जांची गई कालर हिस्ट्री
कुछ भी तो नहीं है साजिश
फिर भी हो रही सवालों की बारिश
किस विषय में चर्चा?
बस विषय की ही करु चर्चा?
आंखों से - किस्स?
हां बिल्कुल चूमा है
दांतों से - कब से?
न जाने कितने अरसोसे
चिमटी से - शर्म नहीं आई?
इसमें क्या? यहीं तो प्रेम लुगाई
फिर पूछती हूं, नाम बताओ
रश्मि... ही कह पाया की आंखों से बिजली चमकी
या आंखों के सामने, पता न चला
...रथी
महारथी
उत्तर द्याहटवा